कब होगी फिर वो सुबह
देश मेरा बदल जायेगा
राम राज्य फिर से आयेगा
कब मिटेगी यहाँ गरीबी
भेद भाव छोड़कर सब
होंगे एक दूसरे के करीबी
कब छोड़ेंगे डर-२ कर
इस देश के लोग जीना
आतंकवाद रहे कहीं ना
नेताओं के वादों में जब
फिर कोई ना फंसेगा
ईमानदार को जब चुनेगा
छोड़ देंगे वैर भाव सब
होगी वो हसीन सुबह कब
जिंदगी खुश होगी तब
गीत खुशियों के गायेंगे
फूल खुशियों के खिलेंगे
सारे दुःख दर्द जब मिटेंगे
मिलाओ कदम से कदम
आओ शपथ ले आज हम
वो सुबह लेकर आयेंगे हम
कब होगी फिर वो सुबह
देश मेरा बदल जायेगा
राम राज्य फिर आयेगा
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१५-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
15/02/2012
कब होगी फिर वो सुबह
02/02/2012
कभी सोचता हूँ दोस्तों मैं भी नेता बन जाऊं
कभी सोचता हूँ दोस्तों मैं भी नेता बन जाऊं.
किसी का करूँ न करूँ अपना भला कर जाऊं.
आम रहकर कुछ कर पाऊँ या न कर पाऊं.
नेता बनकर मैं शायद बहुत कुछ कर जाऊं.
हाथ जोडू पहले मैं फिर ओरों से खूब जुड़वाऊं.
किसी भी तरह अपनी साफ छवि मैं दिखलाऊँ.
अपने पीछे पीछे घूमने वाले मैं चमचे बनाऊं.
अपनी जय जयकार तब रोज मैं भी करवाऊं.
ईमानदार रहकर मैं कुछ शायद न कमा पाऊं.
भ्रष्ट बनकर शायद विदेशों में खाता खुलवाऊं.
वादों की झड़ी लगाकर जनता को मैं रिझाऊं.
जीतने के बाद मैं भी अपनी शक्ल न दिखाऊं.
कभी इस दल में कभी उस दल में मैं भी जाऊं.
कोई टिकट न दें तो निर्दलीय ही मैं उतर जाऊं.
छोटे से घर में रहता हूँ मैं भी बंगला बनवाऊं.
काम काज के लिए तब मैं भी नौकर रखवाऊं.
लालबत्ती वाली गाड़ी तब मैं भी खूब घुमाऊँ.
बड़े - बड़े अफसरों से मैं भी सलामी करवाऊं.
कभी - कभी गरीबों में मैं भी कम्बल बट वाऊं.
और किसी भी तरह अपना वोट बैंक मैं जमाऊं.
कुर्ता पायजामा मैं पहनू टोपी ओरों को पहनाऊं.
कभी यहाँ तो कभी वहाँ मैं भी रैली खूब करवाऊं.
पर अंत में सोचता हूँ दोस्तों कैसे नेता बन पाऊं.
बनने के लिए पर मैं इतना रुपया कहां से लाऊं.
फिर सोचता हूँ दोस्तों मैं अपनी कलम ही चलाऊं.
खूब लिखूं इन सब पर मैं सबको बात समझाऊं.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
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