17/12/2012

हिंदी शायरी By Rawatji

कलम हाथ में आकर बोली कुछ लिख दे।
फिर मैंने सोचा क्या लिखूं आज कुछ खास।
रंजिश लिखूं तो कुछ फायदा नहीं है।
फिर दिल ने कहा चल मुहब्बत लिख दे।।

©2012 अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"

हिंदी शायरी By Anoop Rawat

सुना है इश्क समुंदर की तरह गहरा होता है।
न जाने हम कब उसमें गोते लगायेंगे।

©2012 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”

हिंदी शायरी By Rawatji

प्रेम का रोग भी बड़ा अजीब है
देखता न अमीर न गरीब है.
चाहे कितने भी पहरे लगा लो,
प्रेमी एक दूजे के सदा करीब हैं.

© अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Date: 03-09-2012

जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है

जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है
सरकार घोटालों में व्यस्त है
जनता बीमारियों से ग्रस्त है
पर सारे नेता लोग स्वस्थ हैं
महंगाई भी देखो बड़ी मस्त है
गरीबों की हालत बड़ी पस्त है
सरकार जनता को वादों की
लगा रही बार-२ बस गश्त है
जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है
सरकार घोटालों में व्यस्त है

© अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - २७-०९-२०१२

25/09/2012

हिंदी शायरी By Anoop Rawat

लवों पर उनका है नाम,
यादों में गुजरती है सुबह-शाम.
बहुत तड़प रहें हैं दोस्तों,
जब से पिया है इश्क का जाम.

अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"

१५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवस

१५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
थाम तिरंगा हाथ में, आओ मिलकर जश्न मनाएं ।।
दे सलामी तिरंगे को, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत हम गाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

याद करें उन अमर जवानों, शहीदों को आज हम,
जो इस भारत देश की खातिर मर मिट गए ।
दी प्राणों की आहुति, देश के सुगम भविष्य के लिए,
जो लौटकर न आये और अमर जगत में हो गए ।
वीरों का गुणगान करें, देशभक्ति के हम गीत गाएं ।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

सीमा पर सीना ताने हैं खड़े, प्रहरी सेना के जवान,
खेत खलियानों में मेहनत करते देश के किसान।
सम्पूर्ण भारतवर्ष से दूर करेंगे हम अब अज्ञान,
हर किसी को शिक्षा मिले शुरू करें ये अभियान ।
चलो जवानों का, किसानों का हम हौंसला बढ़ाएं ।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

कृषि, कला, विज्ञान, वाणिज्य में आगे बढ़ेंगे,
करें जतन कुछ ऐसा विश्व में परचम फहराएंगे।
तन मन धन से इस देश की हम सेवा करेंगे,
भारतीय संस्कृति को सम्पूर्ण विश्व में फैलायेंगे।
विश्व पटल पर "भारत" नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

जांति-पांति, धर्म का भेदभाव छोड़ कर आगे बढ़ें,
कोई छोटा, न कोई बड़ा, एक दूजे के गले मिलें।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हम सब हैं भाई-भाई,
इस देश की खातिर कन्धा से कन्धा मिलाकर चलें।
भाईचारा है भारत की ताकत सम्पूर्ण विश्व को दिखलाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

अमर शहीदों को रावत अनूप का शत-शत नमन,
शपथ लें देश से भ्रष्टाचार, आतंकवाद का करेंगे दमन।
एक कुटुम है भारत प्यारा, फैलाएं देश में चैन अमन,
खिलें खुशियों से हर चेहरा, मुस्कुराएं सारा चमन।
बाँटें खुशियाँ आज हम और चादर प्रेम की बिछाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक: १४-०८-२०१२

18/06/2012

कर परिवर्तन आज

कर परिवर्तन आज समय बदल दे
चल आज जीवन का रूख बदल दे

नाम बदलना तू नीयत नही
काम बदलना तू जीरत नही

चल बढ़ा कदम अब मत ठहर
हो परिवर्तन तू कुछ कर गुजर

अंधविश्वास तू करना छोड़ दे
आडम्बरो को हे अब तू तोड़ दे

मत उलझ हे तू जाति धर्म में
ध्यान दे बस तू अब सुकर्म में

ना दौड़ हे तू ऐसे रुपये के पीछे
आ चल मिलकर प्रेम के पेड़ सींचे

ना किसी की बातों में तू बहकना
जो दिल में तेरे बस कर गुजरना

कर परिवर्तन आज समय बदल दे
चल आज जीवन का रूख बदल दे

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२०-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

ऐ मेरे भारत देश महान

ऐ मेरे भारत देश महान
कुछ तो ले अब जरा संज्ञान
१०० में से ९९ नेता बेमान
रोज ले रहे जनता की जान

देख बढती ही जा रही महंगाई
जायजा ले ले जरा अब तो
क्या न देखने की कसम है खाई
देख जरा कैसी बीमारी है आई

कैसे कट रही है ये जिंदगी
देख जरा गरीबों की लाचारी
और मजे से जी रहे हैं यहां
देख जनता के लुटेरे भ्रष्टाचारी

प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है
मुश्किल से जिंदगी कट रही है
नेताओं के चक्कर में यहां अब
इस देश की जनता बंट रही है

देख कैसी-२ बीमारी फ़ैल रही है
जनता मर-२ कर सब झेल रही है
जिनके हाथ में सौप दिया उपाय
देख तो वो इनसे कैसे खेल रही है

घर से बाहर निकलते ही यहां
अब तो रोज रिश्वत लगती है
भ्रष्टाचारियों से लुटे बगैर अब
जिंदगी यहां सबकी तो कटती है

बचपन सड़कों पर कट रहा है
जवानी बेरोजगारी में जी रहा है
बुढ़ापा दर-दर ठोकर खा रहा है
ए भारत माँ देख क्या हो रहा है

कहीं इतिहास न बन कर रह जाये
जाग जा खतरे में है तेरी महिमा
इस देश में नेता अब देख तो जरा
कैसे कुचल रहें रोज तेरी गरिमा

बढ़ रहे हैं रोज अब तो अत्याचार
सुन ले अब तो जनता की सीत्कार
खोल आँखें और कान जरा अब तो
सुन ले रावत अनूप की ये पुकार

ऐ मेरे भारत देश महान
कुछ तो ले अब जरा संज्ञान

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१९-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

जन्मदिन की बधाई पर कविता

आपके जन्मदिन की शुभ वेला,
लगा बहारों का है मेला।
आपकी खुशियों से खुश होकर,
मौसम भी लगता अलबेला॥

मौसम भी कैसा हो गया सुहाना,
क्योंकि आपका जन्मदिन था आना।
झूम झूम कर सारी दुनिया गाये,
जन्मदिन मुबारक आपको ये गाना॥

देखो झूम रहा है सारा आसमान,
सदा खुश रहे आपका ये जहान।
खुश रहो सदा दुआ है हमारी,
पूरे हो आपके हमेशा सारे अरमान॥

यूं ही जन्मदिन आपका आता रहे,
हर वर्ष आपको यूँ ही हर्षाता रहे।
जीवन हो मस्ती से पूरित आपकी
गीत खुशी के यूं ही गाता रहे॥

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१९-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब (मंहगाई)

बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब
रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब..

हर पल आम आदमी को यह तो सता रही है
तेज गति से रोज मंहगाई देखो दौड़ रही है
हर किसी के दामन से खुशियाँ छीन रही है
खून आम आदमी का अब ये निचोड़ रही है

आमदनी है अठन्नी, तो घर खर्चा है रुपय्या
घरवाली बोले और चाहिए रुपये ओरे सैय्यां
कैसे पार लगाऊ मैं अब अपने घर की नैय्या
कैसे कटे जिंदगी अब आप ही बताओ भैय्या

पहले प्याज काटो तो तब ही आंसू आते थे
अब तो प्याज का भाव सुनकर आ जाते हैं
एक टमाटर को अब चार सब्जी में खाते हैं
मंहगाई घटना तो गुजरे ज़माने की बातें हैं

वादे करके सारे नेता हो गये देखो कैसे गोल
अब तो हर रोज बढे है गैस, डीजल, पेट्रोल
मंहगाई का रस जिंदगी में ऐसे न अब घोल
कैसे होगा सब ठीक अब हे प्रभु कुछ बोल

पढ़ना लिखना भी हो गया है अब तो महंगा
स्कूली ड्रेस, बस्ता, पेन सब हो गया महंगा
तन ढकना भी मुश्किल हो गया है अब तो
कमीज पैंट धोती कुरता चुनरी और लहंगा

नमक महंगा तो शक्कर हो गयी नमकीन
कम होगी मंहगाई सरकार बस बजाये बीन
मुश्किल से हो पाए दो वक्त की रोटी का गुजारा
सब हो गये हैं कैसे इस बीमारी से दीन-हीन

न जाने किस जन्म की गलती की है सजा
दिन रात पड़े है अब तो यह महंगाई की मार
नमक छिड़कने ऊपर से आ जाये भ्रष्टाचार
सजा मिले किसी को तो कोई और कसूरवार

हे प्रभु रावत अनूप करे बस इतनी सी विनती
इस मंहगाई डायन से हमको लो अब बचालो
हमारे जीवन की गाड़ी अब पटरी पर लगालो
कलयुग में कोई चमत्कार अब तो करवालो

बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब
रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब..

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१६-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

देखा मैंने उन्हें कुछ यूं

देखा मैंने उन्हें कुछ यूं
सड़क किनारे कुछ ढूंढते हुए
कचरे के ढेर में कुछ तलाशते हुए

जल्दी थी हमें वहां से जाने की
और हम नाक बंद कर रहे थे
पर प्रसन्न से वो दिख रहे थे
वो अपनी रोजी रोटी ढूढ़ रहे थे

फ़ेंक दिया जिसे हम लोगों ने
उसे वो ध्यान से टटोल रहे थे
मिलता जैसे ही कुछ कूड़े में
वो लोग बहुत खुश हो रहे थे

कुछ बच्चे कुछ बूढ़े कुछ जवान
कूड़े के ढेर पर था सबका ध्यान
थैला था एक बड़ा सा यूँ हाथ में
एक डंडा भी था उनके हाथ में

कपडे थे उन लोगों के बड़े मैले
भर रहे थे वो कूड़े से अपने थैले
थैले होते जा रहे थे उनके भारी
हे प्रभु कैसी है ये गरीबी लाचारी

दिन भर कूड़े के ढेर पर बैठे हैं
रात को सड़क किनारे झोपडी में
न जाने कैसे वो जमीन पर सोते हैं
कभी हँसते, कभी किस्मत पर रोते हैं

हे प्रभु यह कैसा संसार रचा दिया
कोई राजा तो कोई रंक बना दिया
हे प्रभु बस इतना सब को देदो
कट जाये जिंदगी आराम से देदो

न कोई छोटा न कोई बड़ा हो यहां
भेदभाव का नामों निशां न रहे यहां
रच दो ऐसी लीला अब तो हे प्रभु
एक सा हो जाये ये सारा अब जहां

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१०-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

07/03/2012

होली आई रंगों का त्योहार

फाल्गुन लाया खुशियाँ हजार
होली आई रंगों का त्योहार
खुशियों से भरे घर संसार

गुजिया तलकर फिर बनेगी
दादी मम्मी फिर पूड़ी बेलेगी
बनेंगे नमकपारे व शक्करपारे
व्यंजन होंगे खाने को ढेर सारे

खेतों में फिर से हरियाली आई
ख़ुशी से नाचे सब किसान भाई
फूलों की फिर खूब खेलें होली
खुशियों से रंग गयी सूरत भोली

अबीर गुलाल रंग खूब लायें हैं
एक दूजे को रंगने सभी आये हैं
गीत होली के मिलकर गाये हैं
सबको यह दिन खूब भाये हैं

हाथों में है रंग से भरी पिचकारी
खुशियाँ आई हैं देखो ढेर सारी
चलो एक दूजे को रंग लगालो
खुशियों का पल है संग मनालो

न खेलो जुआ, ना पिओ शराब
यह सब खुशियाँ कर दें ख़राब
आओ हंसी ख़ुशी होली मनाएं
होली मुबारक सब मिलकर गाएं

सब लोगो को रावत अनूप की
होली की सपरिवार शुभकामनाएं
चलो आओ मित्रो इस पर्व को
आज हम सब मिलकर मनाएं

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०५-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

15/02/2012

कब होगी फिर वो सुबह

कब होगी फिर वो सुबह
देश मेरा बदल जायेगा
राम राज्य फिर से आयेगा

कब मिटेगी यहाँ गरीबी
भेद भाव छोड़कर सब
होंगे एक दूसरे के करीबी

कब छोड़ेंगे डर-२ कर
इस देश के लोग जीना
आतंकवाद रहे कहीं ना

नेताओं के वादों में जब
फिर कोई ना फंसेगा
ईमानदार को जब चुनेगा

छोड़ देंगे वैर भाव सब
होगी वो हसीन सुबह कब
जिंदगी खुश होगी तब

गीत खुशियों के गायेंगे
फूल खुशियों के खिलेंगे
सारे दुःख दर्द जब मिटेंगे

मिलाओ कदम से कदम
आओ शपथ ले आज हम
वो सुबह लेकर आयेंगे हम

कब होगी फिर वो सुबह
देश मेरा बदल जायेगा
राम राज्य फिर आयेगा

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१५-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

02/02/2012

कभी सोचता हूँ दोस्तों मैं भी नेता बन जाऊं

कभी सोचता हूँ दोस्तों मैं भी नेता बन जाऊं.
किसी का करूँ न करूँ अपना भला कर जाऊं.

आम रहकर कुछ कर पाऊँ या न कर पाऊं.
नेता बनकर मैं शायद बहुत कुछ कर जाऊं.

हाथ जोडू पहले मैं फिर ओरों से खूब जुड़वाऊं.
किसी भी तरह अपनी साफ छवि मैं दिखलाऊँ.

अपने पीछे पीछे घूमने वाले मैं चमचे बनाऊं.
अपनी जय जयकार तब रोज मैं भी करवाऊं.

ईमानदार रहकर मैं कुछ शायद न कमा पाऊं.
भ्रष्ट बनकर शायद विदेशों में खाता खुलवाऊं.

वादों की झड़ी लगाकर जनता को मैं रिझाऊं.
जीतने के बाद मैं भी अपनी शक्ल न दिखाऊं.

कभी इस दल में कभी उस दल में मैं भी जाऊं.
कोई टिकट न दें तो निर्दलीय ही मैं उतर जाऊं.

छोटे से घर में रहता हूँ मैं भी बंगला बनवाऊं.
काम काज के लिए तब मैं भी नौकर रखवाऊं.

लालबत्ती वाली गाड़ी तब मैं भी खूब घुमाऊँ.
बड़े - बड़े अफसरों से मैं भी सलामी करवाऊं.

कभी - कभी गरीबों में मैं भी कम्बल बट वाऊं.
और किसी भी तरह अपना वोट बैंक मैं जमाऊं.

कुर्ता पायजामा मैं पहनू टोपी ओरों को पहनाऊं.
कभी यहाँ तो कभी वहाँ मैं भी रैली खूब करवाऊं.

पर अंत में सोचता हूँ दोस्तों कैसे नेता बन पाऊं.
बनने के लिए पर मैं इतना रुपया कहां से लाऊं.

फिर सोचता हूँ दोस्तों मैं अपनी कलम ही चलाऊं.
खूब लिखूं इन सब पर मैं सबको बात समझाऊं.


सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

23/01/2012

२६ जनवरी गणतंत्र दिवस

२६ जनवरी गणतंत्र दिवस फिर से आयी है.
इंडिया गेट राजपथ पर परेड होने आयी है..

देश की विभिन्न संस्कृति देखने को मिलेगी.
जब झाकिंयां हर राज्य की फिर से आयेगी..

जाबांजी दिखाने फिर सेना के जवान आयेंगे.
हर रायफल के जवान परेड करते जब आयेंगे..

स्कूली बच्चे भी अपना हुनर दिखाने आयेंगे.
सेना के जवानों से कदम से कदम मिलायेंगे..

देखेगी सारी दुनिया राजपथ से शक्ति हमारी.
जय जयकार होगी हिंदुस्तान की तब भारी..

देश के शहीदों को याद करेंगे जयकार होगी.
देशभक्ति गीतों की भी साथ में भरमार होगी..

भारत माता की जय जयकार के नारे गूंजेंगे.
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी भाई आयेंगे..

शपथ लें सब आज मिलकर देश को बचाना है.
इस देश की खातिर हमको मर मिट जाना है..

जय भारत, भारतीय एकता, जय हिन्दुस्तान.
जय जवान, जय किसान, जय हो विज्ञान...

भारत माता की जय वन्देमातरम् इन्कलाब जिंदाबाद
महात्मा गाँधी अमर रहे, राष्ट्रीय एकता जिंदाबाद...

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन " दिनांक -२३-०१-२०१२
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

16/01/2012

नववर्ष की शुभकामनायें

आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनायें.
प्रभु पूर्ण करे आपकी सारी मनोकामनाएं...

खुशियों से भरा हो संसार सदा आपका,
गमों से न भीगे कभी दामन आपका,
रब से करे बार बार सिर्फ यही दुआएं...

हर कदम पर आपको सफलता ही मिले,
खुशियों के फूल आपके आँगन में खिले,
आपके मार्ग में कभी न आये कोई बाधाएं...

रूठे न कभी आपसे आपके चाहने वाले,
प्यार देखकर दुश्मन भी गले लगाले,
इस वर्ष पूर्ण हो आपकी सम्पूर्ण आशाएं...

आप और हमारा रिश्ता यूँही जुड़ा रहे,
मुस्कान आपके चेहरे पर हमेशा रहे,
रावत अनूप प्रभु से करे इतनी ही दुआएं...

आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनायें..
प्रभु पूर्ण करे आपकी सारी मनोकामनाएं...

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाजियाबाद

कवि तो कवि है

कागज कलम हाथ में लेकर वो बस लिखता ही जाएगा
हर समस्या का समाधान वो बस ढूंढता ही जाएगा.....
कवि तो कवि है वो बस लिखता ही जाएगा....

प्रकृति की सुन्दरता का मनोरम चित्रण
या रिमझिम बरसते सावन का वर्णन
बसंत ऋतु के असंख्य फूलों के हर रंग
सर्द ऋतु की ठंडी हवा और बर्फ के संग
अपनी कलम का जादू वो बस बिखेरता ही जाएगा
कवि तो कवि है वो बस लिखता ही जाएगा....

समाज में फैली कुरीतियों पर व्यंग्य कसता
भ्रष्ट नेताओ की सजी महफ़िल की पोल खोलता
जनता के हितो के लिए हमेशा कलम से लड़ता
बचना इनसे सदैव अपना सन्देश है देता रहता
अपने लेखन के हथियार से बस लड़ता ही जाएगा
कवि तो कवि है वो बस लिखता ही जाएगा....

कविता लिखने में उसे कोई मोह लोभ नहीं
वह तो बस अपनी भावना प्रकट करता है
ज्ञान के प्रकाश की रोशनी को महोदय,
अहम् रूपी अंधकार भगाने को करता है
अपनी बातों को दूसरों तक बस पहुंचाता ही जाएगा
कवि तो कवि है वो बस लिखता ही जाएगा....

कविता एक माध्यम है जो पहले भी लिखी गयी
पन्त, निराला, जयशंकर, दिनकर, महादेवी वर्मा
अज्ञेय, कबीर, रहीम, मीरा, बच्चन, बोध, शर्मा
आदि अनेक पूर्व कवियों की महान थी गरिमा
रावत अनूप भी एक छोटी सी कोशिश करता ही जाएगा
कवि तो कवि है वो बस लिखता ही जाएगा....

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद

चुनाव का वक्त एक बार फिर से हो गया

चुनाव का वक्त एक बार फिर से हो गया
नेताओ को जनता का ध्यान हो गया..

गांव गांव शहर शहर इनकी लाइन लगी है
नजर इनकी जनता के मत पर लगी है...
कितने दिनों बाद इनका सवेरा हो गया
चुनाव का वक्त एक बार फिर से हो गया
नेताओ को जनता का ध्यान हो गया..

आम हो या खास सबको हाथ जोड़ रहे हैं
मीठी मीठी बोली आज ये फिर बोल रहे हैं
ह्रदय परिवर्तन इनका आज फिर हो गया
चुनाव का वक्त एक बार फिर से हो गया
नेताओ को जनता का ध्यान हो गया..

सफ़ेद कुरता पायजामा सर पर टोपी खादी
चेले पीछे पीछे नाच रहे जैसे आज हो शादी
वादों की टोपी नेता आज फिर पहना गया
चुनाव का वक्त एक बार फिर से हो गया
नेताओ को जनता का ध्यान हो गया..

आज यहाँ कल वहां हो रही है रोज रैली
उड़ा रहे हैं जनता के रुपयों की ये थैली
ना जाने कितने रुपये का ये चूना लगा गया
चुनाव का वक्त एक बार फिर से हो गया
नेताओ को जनता का ध्यान हो गया..

दल हैं अनेक पर कर्म सबके एक हैं
वो कभी जीतता नही जिसके इरादे नेक हैं
जाग जा जनता आज सब तेरे हाथ में रह गया
चुनाव का वक्त एक बार फिर से हो गया
नेताओ को जनता का ध्यान हो गया..

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम गाज़ियाबाद

Happy Holi

सादे रंग को गलती से आप ना कोरा समझो,
इसी में समाये इन्द्रधनुषी सातों रंग,
जो दिखे आपको ज़िन्दगी सादगी भरी किसीकी,
तो आप यूँ समझो सतरंगी है दुनिया उसीकी,
होली आई सतरंगी रंगों की बौछार लायी,
ढेर सारी मिठाई और मीठा मीठा प्यार लायी,
आप की ज़िन्दगी हो मीठे प्यार और खुशियों से भरी,
जिसमे समाये सातों रंग यही शुभकामना है हमारी...

सर्वाधिकार सुरक्षित @ अनूप रावत