28/08/2013

रावत बोल वचन – भाग १

चीखकर न खुदा मिले, न मिलेगा भगवन ।
पाना है गर उसे, तो निर्मल करले मन ।१।

कर संगत ज्ञानी की, राम नाम तू जपना ।
छोड़ के आदत बुरी, सांच को ले अपना ।२।

प्रेम भी देखो खेल हुआ, हर कोई खेलत जाय ।
बात करें है बड़ी-बड़ी, अंत में हाथ छोड़ जाय ।३।

धन ही सबसे पहले है, चाहे भला ये जग छूटे ।
महिमा इसकी अपार है, सब रिश्ते नाते टूटे ।४।

भांति-भांति के लोग यहाँ, जाति धर्म अनेक ।
अनूप कहे सबसे इतना, मानवता ही नेक ।५।

बिन नारी के सून है, ये सारा ही संसार ।
एक ही जन्म में धरे, देख ले रूप अपार ।६।

आँख मूंदकर यूं इंसान को, न तू भगवन मान ।
ढोंगी को मान देकर, प्रभु का न कर अपमान ।७।

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – २७-०८-२०१३ (इंदिरापुरम)

12/08/2013

हिंदी शायरी - अनूप रावत

उन्हें देखकर यूं लगा,
जैसे जन्नत मिल गयी.
मांगी थी जो मन्नत,
आज वो पूरी हो गयी..

© अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - १२-०८-२०१३ (इंदिरापुरम)

10/08/2013

हिंदी शायरी - अनूप रावत

यूँ न देख हमें इन नशीली आँखों से.
कहीं तेरे इश्क का नशा न हो जाए...

- अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Date - 10-08-2013