25/03/2013

आयो रे होरी

फाल्गुन लागो, आयो रे होरी।
खेलन आयो रे तू संग होरी।।

मैं कान्हा तेरो, तू राधा मोरी।
भूल न जाना तू ओरे गोरी।।

अबीर गुलाल भर पिचकारी।
रंग दूंगा तुझको ओरे दुलारी।।

सखियाँ भी होंगी संग तोरी।
प्रीत है ये तो ना कोई चोरी।।

आवत जावत रंगियो तू गोरी।
जी भर खेलें आज संग होरी।।

रंग बिरंगे फूलों की ओरे छोरी।
महके का आंगन, घर, मोरी।।

फाल्गुन लागो, आयो रे होरी।
खेलन आयो रे तू संग होरी।।

©अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक 25-03-2013 (इंदिरापुरम)

1 comment:

  1. bahut sundar bhavnatmak abhivyakti .aapko holi kee bahut bahut shubhkamnayen.

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